सोलर पैनल क्या है -Type Of Solar Panel in hindi

Solar Panel in Hindi – दोस्तों सोलर सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है जो सूर्य से रोशनी लेकर उस को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है जिसका इस्तेमाल हम रात में अंधेरा होने पर घर में उजाला करने और अन्य कामों में कर सकते हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में बिजली का कितना अधिक योगदान हो गया है

और इसका महत्व लगभग दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है हमारे सभी कामों को करने के लिए आजकल बिजली की आवश्यकता बहुत अधिक हो गई है इसलिए दोस्तों हम आपको एक ऑटोमेटिक मशीन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका कार्य सूर्य से ऊर्जा लेकर उसे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है

जिसे हम सोलर सिस्टम के नाम से भी जानते हैं यदि आप भी सोलर सिस्टम से जुड़ी जानकारियों के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल से जुड़े रहिए और उसको पूरा पढ़ें हम आज आपको सोलर सिस्टम के बारे में बताने जा रहे हैं कि यह क्या होता है और यह कैसे काम करता है 

सोलर पैनल क्या है –  What is Solar Panel in Hindi

सोलर सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है जो हमारे पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए प्राकृतिक स्त्रोतों का प्रयोग करके हमें बिजली देता है सोलर सिस्टम की मदद से सूरज की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है सोलर सिस्टम बनाने के लिए छोटे-छोटे सेल को इकट्ठा किया जाता है जो सूरज से मिलने वाली रोशनी को इकट्ठा करके उन्हें ऊष्मा में परिवर्तित कर देते हैं और हमें बिजली प्रदान करते हैं 

सोलर पैनल कैसे कार्य करता है?

जैसा कि हमने आपको बताया कि सोलर पैनल सूरज की रोशनी को लेकर उसे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है दोस्तों सूरज से निकलने वाली रोशनी में उर्जा के कुछ कण पाए जाते हैं जिन्हें हम  फोटोन कहते हैं   इन फोटोन की उर्जा से निकलने वाली ऊर्जा को ही विद्युत ऊर्जा कहा जाता है

 सोलर सिस्टम में काफी सारे  सोलर सेल्स लगे हुए होते हैं इन  सोलर सेल को बैटरी के नाम से भी जाना जाता है यह सोलर सेल्स सिलिकॉन के द्वारा बने हुए होते हैं जो एक अर्धचालक प्रकार की धातु होती है जिसके साथ फास्फोरस जोकि नेगेटिव चार्ज पैदा करता है

और एक  बोरोन  जोकि पॉजिटिव चार्ज पैदा करता है इनका इस्तेमाल इस सोलर पैनल में किया जाता है इस प्रक्रिया को हम चित्र के द्वारा अच्छे से समझते हैं जब कोई फोटोन  सोलर पैनल से टकराते हैं तो इलेक्ट्रॉन अपने एटॉमिक नंबर से निकलकर सोलर पैनल के द्वारा प्राप्त किए गए इलेक्ट्रिक फील्ड में पहुंच जाते हैं

जोकि इनको एक सीधी धारा मैं खींचे जाते हैं इस पूरे  प्रक्रम को फोटोवॉल्टिक प्रभाव कहा जाता है जो हमें सोलर पैनल की सहायता से बिजली प्राप्त करने में हमारी मदद करता है

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सोलर पैनल के कितने प्रकार होते हैं ? – Types of Solar Panel

अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि सोलर पैनल कितने प्रकार के होते हैं

 दोस्तों सोलर पैनल तीन प्रकार के होते हैं यह तीनों ही प्रकार के पैनल एक दूसरे से बहुत ही अलग-अलग तरीके से बने हुए होते हैं इतना ही नहीं यह तीनों एक दूसरे से दिखने में भी बिल्कुल भिन्न प्रकार के होते हैं तो चलिए आज हम जानते हैं इन तीनों प्रकार के  सोलर पैनल के बारे में

  • मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल ( monocrystalline solar panel)
  • पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल( polycrystalline solar panel)
  • थिन  फिल्म सोलर पैनल (Thin film solar panel)

मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल ( monocrystalline solar panel)-यह पैनल सबसे ज्यादा पुराना और सबसे अधिक प्रयोग में किए जाने वाला पैनल है इसे बनाने के लिए लगभग 40 मोनोक्रिस्टलाइन सोलर सेल का प्रयोग किया जाता है यह सोलर सेल्स शुद्ध सिलिकॉन के बने हुए होते हैं

इन्हें बनाने की प्रक्रिया को czochralski method  कहा जाता है  जिसमें एक  सीड क्रिस्टल को पिघले हुए सिलिकॉन से भरे हुए एक बर्तन में रखा जाता है इसके बाद सॉलि़ड क्रिस्टल  बन जाता है जिसे हम धातु का पिंड कहते हैं अब इस धातु के पिंड को पतले सिलीकान वेफर मैं बराबर टुकड़ों में काट दिया जाता है

अब इन टुकड़ों से सेल बनता है और के सारे सेल्स एक साथ मिलकर एक सोलर पैनल का निर्माण करते हैं

 यह मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल हमें काले रंग के दिखाई देते हैं क्योंकि इनमें सूरज की  किरणें सीधी वह शुद्ध सिलिकॉन के साथ मिलती है इसके back sheets  तथाframes  बहुत तरह के रंगों में पाए जाते हैं

यह मोनोक्रिस्टलाइन सोलर सेल्स देखने में बिना कोने वाले गोल घेरे की तरह होते हैं इसलिए सोलर पैनल में सेल्स के बीच में थोड़ा सा गया को पाया जाता है

 पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल( polycrystalline solar panel)- पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल एक नए प्रकार का सोलर पैनल है यह बहुत ही तेजी के साथ पॉपुलर हो गया है यह सोलर पैनल अन्य सोनल पैनल के मुकाबले बहुत अच्छे से काम करता है यह  दूसरे सोलर सेल की तरह पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल भी सिलिकॉन से बना होता है  परंतु पॉलीक्रिस्टलाइन सेल्स एक साथ पिघले हुए सिलिकॉन क्रिस्टल के टुकड़ों से बनते हैं

 इन्हें बनाने के लिए सीड क्रिस्टल को निकली हुई सिलिकॉन के साथ एक तब में रखा जाता है इन्हें धीरे-धीरे बाहर निकालने के अलावा क्रिस्टल के टुकड़ों को उसी में ठंडा करते हैं जब क्रिस्टल अपने ढांचे में ठंडा हो जाता है

तब सिलिकॉन के टुकड़ों को बारीक पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर  टुकड़ों में काट दिया जाता है इन टुकड़ों को जोड़कर अब एक पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल का निर्माण किया जाता है

 यह पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल दिखने में नीले रंग के होते हैं शुद्ध लिखो की तुलना में यह सूरज की रोशनी सिलिकॉन के टुकड़ों से अलग तरह से परावर्तित करते हैं यह पॉलीक्रिस्टलाइन सेल्स की शेप  चौकोर तरह की होती है इसलिए पैनल में सेल्स के कोनों में कोई भी जॉब नहीं पाया जाता है

थिन  फिल्म सोलर पैनल (Thin film solar panel) –फिल्म फिल्म सोलर पैनल इंडस्ट्री में एक बिल्कुल ही ने तरह का डेवलपमेंट है इसमें सबसे अलग विशेषता यह होती है कि इसे हमेशा असली कौन से नहीं बनाया जा सकता इसमें कई तरह के मेटेरियल का प्रयोग किया जाता है

जैसे CdTe,a-Si,CiGS आदि मैटेरियल्स से मिलकर बना होता है इन सोलर सेल्स को बनाने के लिए बहुत सारे  मेटेरियल को कंडक्टिव मेटेरियल की बनी पतली परत के बीच में रखा जाता है जिस पर  बचाव के लिए शीशे की एक पतली परत लगाई जाती है a-Si  सोलर पैनल में सिलिकॉन का प्रयोग होता है

लेकिन यह non-crystalline सिलिकॉन का प्रयोग करते हैं और यह शीशे से ढके रहते हैं जिससे इन में कोई नुकसान ना पहुंचे

सोलर पैनल किस  सिद्धांत पर कार्य करता है?

सोलर पैनल सूर्य के प्रकाश को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है सोलर सेल फोटोवोल्टिक प्रभाव के सिद्धांत पर काम करता है फोटोवॉल्टिक एक  ऐसा प्रक्रम है जो सूरज की किरणों के संपर्क में आने से इलेक्ट्रिक करंट पैदा करता है

सोलर पैनल दो अलग-अलग तरह के सेमीकंडक्टर से बना होता है पहला P-type यह पॉजिटिव चार्ज उत्पन्न करता है और दूसरा n-type  यह नेगेटिव चार्ज  उत्पन्न करता है यह एक साथ मिलकर p-n  जंक्शन बनाते हैं फोटोवॉल्टिक प्रभाव  सोलर सेल  में ही उत्पन्न होता है

जब हम इन दोनों तरह के सेमीकंडक्टर को एक साथ जोड़ते हैं तो जंक्शन क्षेत्र में  विद्युत क्षेत्र उत्पन्न किया जाता है विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है ऐसा जब होता है जब  इलेक्ट्रॉन के पॉजिटिव p  साइड जाते हैं और उसके नेगेटिवn- साइड आते हैं

 इस वजह से ही नेगेटिव चार्ज वाले एक ही दिशा में घूमते हैं जबकि पॉजिटिव चार्ज वाले उसके विपरीत दिशा में घूमते रहते हैं

n-साइड वाले सेमीकंडक्टर के ऊपर मेटल की कुछ प्लेट बनी होती है जो इलेक्ट्रॉन को अवशोषित कर के बाहर की तरफ निकालते हैं जिसकी वजह से करंट उत्पन्न होता है

 सोलर पैनल के कुछ उपयोग – Solar Panel

सोलर पैनल  का उपयोग बहुत जगह किया जाता है क्योंकि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में बिजली की कितनी अधिक आवश्यकता हो गई है हमारा कोई भी कार्य बिना बिजली के पूरा नहीं होता है और हमारे देश में इतनी अधिक पॉपुलेशन होने के कारण बिजली भी इतनी ज्यादा गति से नहीं बन पाती

इसलिए सोलर पैनल का उपयोग बहुत ज्यादा किया जाता है बड़ी-बड़ी कंपनियों में ज्यादातर सोलर पैनल का ही प्रयोग करते हैं आइए आगे जानते हैं सोलर पैनल के कुछ अन्य भी उपयोग

  • हम सोलर पैनल का उपयोग अपने घरों की छत पर लगाकर आसानी से बिजली का प्रयोग अपने घरों में कार्य करने के लिए कर सकते हैं
  •  इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और गाड़ियों की बैटरी को चार्ज करने के लिए भी सोलर प्लेट का उपयोग किया जाने लगा है
  •  अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले स्पेसक्राफ्ट में लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी सोलर पैनल के द्वारा ही बिजली प्रदान की जाती है
  •  सड़कों और शहरों में लगी स्ट्रीट लाइट को दिन के समय सूर्य की किरणों द्वारा चार्ज करके इसका उपयोग रात में अंधेरा होने पर रोशनी करने के लिए किया जाता है
  •   सौर ऊर्जा द्वारा खाना बनाने के लिए भी सोलर प्लेट का उपयोग किया जाता है
  •  बड़ी-बड़ी कंपनियों में जहां बिजली की ज्यादा आवश्यकता होती है वहां पर भी सोलर प्लेट का उपयोग किया जाता है क्योंकि अगर हम अलग से बिजली लेते हैं तो हमारा बहुत अधिक बिल आ जाता है जिस कारण बहुत ज्यादा नुकसान होने का खतरा बना रहता है सोलर प्लेट का उपयोग करके हम बिजली के बिल से निजात पा सकते हैं सोलर प्लेट लगाने में एक बार ही खर्चा आता है उसके बाद बहुत सालों तक हम इसका प्रयोग बिना किसी बिल के आराम से करते हैं ते हैं

सोलर पैनल के कुछ फायदे

सोलर पैनल का प्रयोग करने के बहुत सारे फायदे इनके बारे में हम बात करते हैं

  • सोलर प्लेट लगाने पर सिर्फ एक ही बार पैसे खर्च होते हैं इसके बाद आप फ्री में बिजली का इस्तेमाल आराम से कर सकते हैं क्योंकि सोलर प्लेट को चार्ज होने के लिए केवल धूप की आवश्यकता होती है
  •  गांव वाले इलाकों में या फिर ऐसे स्थान जहां पर हम बिजली नहीं पहुंचा सकते  जहां  पर ज्यादातर सोलर प्लेट का ही उपयोग किया जाता है जैसे की हम बात करें गांव के खेतों में जहां बिजली के तार हम नहीं ले जा सकते वहां पर  ट्यूबवेल चलाने के लिए सोलर प्लेट का ही इस्तेमाल किया जाने लगा है इसका  प्रयोग  करना काफी आरामदायक हो गया है इसके द्वारा हम कभी भी बिजली का प्रयोग कर सकते हैं
  • सोलर प्लेट का उपयोग करना बहुत ही आसान और सुरक्षित है साथ ही इसका रख रखाव भी बहुत ही आसान होता है
  •  सोलर पैनल के इस्तेमाल से बिजली प्राप्त करना अन्य संसाधनों की तुलना में बहुत ज्यादा सस्ता होता है
  •  इसके इस्तेमाल के  द्वारा किसी भी तरह  की विषैली गैस उत्पन्न नहीं होती है इसके आसपास का वातावरण दूषित नहीं होता है और पर्यावरण भी शुद्ध रखने में मदद मिलती है
  •  सोलर प्लेट का   प्रयोग कहीं पर भी किया जा सकता है आप इसका उपयोग घर ऑफिस या फिर खेतों में भी लगवा कर कर सकते हैं 

निष्कर्ष- Solar Panel in Hindi 

दोस्तों आपको हमारी यह जानकारी कैसी लगी कमेंट करके अवश्य बताएं और  हमने अपनी इस पोस्ट के जरिए आपको सोलर पैनल के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है यदि आपको  यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो आगे भी हमारी पोस्ट को  पढ़ना जारी रखें धन्यवाद 

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